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शत्रुओं के विरुद्ध प्रार्थना गीत 
आसाप का भजन 
 १ हे परमेश्वर मौन न रह; 
हे परमेश्वर चुप न रह, और न शान्त रह! 
 २ क्योंकि देख तेरे शत्रु धूम मचा रहे हैं; 
और तेरे बैरियों ने सिर उठाया है। 
 ३ वे चतुराई से तेरी प्रजा की हानि की सम्मति करते, 
और तेरे रक्षित लोगों के विरुद्ध युक्तियाँ निकालते हैं। 
 ४ उन्होंने कहा, “आओ, हम उनका ऐसा नाश करें कि राज्य भी मिट जाए; 
और इस्राएल का नाम आगे को स्मरण न रहे।” 
 ५ उन्होंने एक मन होकर युक्ति निकाली है*, 
और तेरे ही विरुद्ध वाचा बाँधी है। 
 ६ ये तो एदोम के तम्बूवाले 
और इश्माएली, मोआबी और हग्री, 
 ७ गबाली, अम्मोनी, अमालेकी, 
और सोर समेत पलिश्ती हैं। 
 ८ इनके संग अश्शूरी भी मिल गए हैं; 
उनसे भी लूतवंशियों को सहारा मिला है। (सेला) 
 ९ इनसे ऐसा कर जैसा मिद्यानियों से*, 
और कीशोन नाले में सीसरा और याबीन से किया* था, 
 १० वे एनदोर में नाश हुए, 
और भूमि के लिये खाद बन गए। 
 ११ इनके रईसों को ओरेब और जेब सरीखे, 
और इनके सब प्रधानों को जेबह और सल्मुन्ना के समान कर दे, 
 १२ जिन्होंने कहा था, 
“हम परमेश्वर की चराइयों के अधिकारी आप ही हो जाएँ।” 
 १३ हे मेरे परमेश्वर इनको बवंडर की धूलि, 
या पवन से उड़ाए हुए भूसे के समान कर दे। 
 १४ उस आग के समान जो वन को भस्म करती है, 
और उस लौ के समान जो पहाड़ों को जला देती है, 
 १५ तू इन्हें अपनी आँधी से भगा दे, 
और अपने बवंडर से घबरा दे! 
 १६ इनके मुँह को अति लज्जित कर, 
कि हे यहोवा ये तेरे नाम को ढूँढ़ें। 
 १७ ये सदा के लिये लज्जित और घबराए रहें, 
इनके मुँह काले हों, और इनका नाश हो जाए, 
 १८ जिससे ये जानें कि केवल तू जिसका नाम यहोवा है, 
सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।