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मार्गदर्शन और उद्धार के लिए प्रार्थना 
दाऊद का भजन 
 १ हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन; 
मेरे गिड़गिड़ाने की ओर कान लगा! 
तू जो सच्चा और धर्मी है, इसलिए मेरी सुन ले, 
 २ और अपने दास से मुकद्दमा न चला! 
क्योंकि कोई प्राणी तेरी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता। (रोम 3:20, 1 कुरि. 4:4, गला 2:16) 
 ३ शत्रु तो मेरे प्राण का गाहक हुआ है; 
उसने मुझे चूर करके मिट्टी में मिलाया है, 
और मुझे बहुत दिन के मरे हुओं के समान अंधेरे स्थान में डाल दिया है। 
 ४ मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है 
मेरा मन विकल है। 
 ५ मुझे प्राचीनकाल के दिन स्मरण आते हैं, 
मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूँ, 
और तेरे हाथों के कामों को सोचता हूँ। 
 ६ मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हूए हूँ; 
सूखी भूमि के समान मैं तेरा प्यासा हूँ। (सेला) 
 ७ हे यहोवा, फुर्ती करके मेरी सुन ले; 
क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं! 
मुझसे अपना मुँह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ। 
 ८ प्रातःकाल को अपनी करुणा की बात मुझे सुना, 
क्योंकि मैंने तुझी पर भरोसा रखा है। 
जिस मार्ग पर मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, 
क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ। 
 ९ हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; 
मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूँ। 
 १० मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा कैसे पूरी करूँ, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! 
तेरी भली आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले*! 
 ११ हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! 
तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले! 
 १२ और करुणा करके मेरे शत्रुओं का सत्यानाश कर, 
और मेरे सब सतानेवालों का नाश कर डाल, 
क्योंकि मैं तेरा दास हूँ।