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सिय्योन के शत्रुओं पर विजय का गीत 
यात्रा का गीत 
 १ इस्राएल अब यह कहे, 
“मेरे बचपन से लोग मुझे बार-बार क्लेश देते आए हैं, 
 २ मेरे बचपन से वे मुझ को बार-बार क्लेश देते तो आए हैं, 
परन्तु मुझ पर प्रबल नहीं हुए। 
 ३ हलवाहों ने मेरी पीठ के ऊपर हल चलाया*, 
और लम्बी-लम्बी रेखाएं की।” 
 ४ यहोवा धर्मी है; 
उसने दुष्टों के फंदों को काट डाला है; 
 ५ जितने सिय्योन से बैर रखते हैं, 
वे सब लज्जित हो, और पराजित होकर पीछे हट जाए! 
 ६ वे छत पर की घास के समान हों, 
जो बढ़ने से पहले सूख जाती है; 
 ७ जिससे कोई लवनेवाला अपनी मुट्ठी नहीं भरता*, 
न पूलियों का कोई बाँधनेवाला अपनी अँकवार भर पाता है, 
 ८ और न आने-जाने वाले यह कहते हैं, 
“यहोवा की आशीष तुम पर होवे! 
हम तुम को यहोवा के नाम से आशीर्वाद देते हैं!”